Ram Mandir: बीजेपी को नहीं मिल पा रहा राम मंदिर का चुनावी लाभ, मोदी को लेकर साधू संतों में नाराजगी बढ़ी

N. Modi

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लोकसभा चुनाव में अब कुछ ही महीने बाकी हैं, ऐसे में बीजेपी राम मंदिर (Ram Mandir) का लाभ उठाने की भरपूर कोशिश कर रही है लेकिन सत्तारूढ़ पार्टी को उम्मीद के मुताबिक लाभ मिल नहीं रहा है, जिससे शीर्ष नेतृत्व बैचेन है. बीजेपी को भी इस बात का एहसास हो चुका है कि जनता पर राम मंदिर का बहुत असर नहीं पड़ा है. लोगों को समझ आ गया कि राम मंदिर के नाम पर बीजेपी ने चुनवी मंच तैयार किया है.

खैर इन सब के इतर हम आपको बताते हैं कि क्यों बीजेपी राम मंदिर का चुनावी लाभ नहीं उठा पाई. ऐसी क्या वजहें रहीं, जिसका नुकसान बीजेपी को हुआ.

मोदी को भगवान से बड़ा दिखाना पड़ा भारी

अयोध्या में होने वाले राम मंदिर (Ram Mandir) के उद्घाटन समारोह से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीर को ऐसे पेश किया गया, जैसे वे खुद भगवान राम से बड़े हों. बीजेपी कर्णाटक के आधिकारिक हैंडल से भी एक तस्वीर पोस्ट की गई थी, जिसमें पीएम मोदी की तस्वीर को भगवान राम से बड़ा दिखाया गया. सोशल मीडिया पर किरकिरी होने के बाद भी बीजेपी ने अपना रवैया नहीं बदला. राम लला के प्राण प्रतिष्ठा से पहले अयोध्या में लगी तस्वीरों में मोदी की छवि को भगवान राम से भी बढ़ाकर दिखाया गया.

मोदी और बीजेपी ने की साधू संतों की अनदेखी

मान्यताओं के मुताबिक़, शंकराचार्य हिंदू धर्म में सर्वोच्च धर्म गुरु का पद है. हिंदू धर्म में शंकराचार्यों को सम्मान और आस्था की नज़र से देखा जाता रहा है. लेकिन बीजेपी ने सभी संतों की अनदेखी की. ऐसे में देश के चारों शंकराचार्य 22 जनवरी को प्राण प्रतिष्ठा आयोजन में शामिल नहीं होंगे. चारों शंकराचार्य लगातार कह रहे है कि आयोजन शास्त्रों के अनुसार नहीं हो रहा है. इसके बावजूद भाजपा ने चुनावी लाभ के लिए राम मंदिर का उद्घाटन जल्दीबाजी में कराया.

लोगों को समझाने में सफल रही कांग्रेस

कांग्रेस ने शुरुआत में ही अपना रुख साफ कर दिया था. कांग्रेस अधिकांश लोगों को यह समझाने में सफल रही कि बीजेपी और आरएसएस लंबे वक्त से इस मुद्दे को राजनीतिक प्रोजेक्ट बनाते रहे हैं, कांग्रेस ने कहा कि धर्म व्यक्ति का निजी मसला है. लेकिन एक अर्धनिर्मित मंदिर का उद्घाटन केवल चुनावी लाभ उठाने के लिए किया जा रहा है.

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