Gyanvapi Case: वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद से पहले यहां पर मंदिर था, ASI रिपोर्ट में बड़ा खुलासा
वाराणसी की ज्ञानवापी (Gyanvapi) मस्जिद परिसर को लेकर कई दिनों से देश में घमासान चल रहा था, जिसके बाद से इस पर जांच बैठाई गई थी. वहीं अब सर्वे करने वाले भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण यानी ASI ने कहा है कि पहले यहां एक हिंदू मंदिर था. इस बात को लेकर कई सबूत मिले हैं.
एएसआई ने कहा है कि मौजूदा ढाँचे के निर्माण से पहले वहाँ (Gyanvapi) एक हिंदू मंदिर था. रिपोर्ट सार्वजनिक होने के बाद हिन्दू पक्ष ने कहा कि अब हिन्दुओं को वहां पूजा-पाठ की अनुमति मिलनी चाहिए, जबकि मुस्लिम पक्ष ने कानूनी लड़ाई को आगे बढ़ाने का ऐलान किया है. गौरतलब है कि वाराणसी ज़िला अदालत ने पिछले साल जुलाई में एएसआई को मस्जिद परिसर का सर्वे करने का निर्देश दिया था.
सर्वे रिपोर्ट की महत्वपूर्ण बातें
- मस्जिद से पहले वहां बने मंदिर में बड़ा केंद्रीय कक्ष और उत्तर की ओर छोटा कक्ष था.
- 17वीं शताब्दी में मंदिर को तोड़कर उसके हिस्से को मस्जिद में समाहित किया गया.
- मस्जिद के निर्माण में मंदिर के खंभों के साथ ही अन्य हिस्सों का बिना ज्यादा बदलाव किए इस्तेमाल किया गया.
- कुछ खंभों से हिन्दू चिह्नों को मिटाया गया है.
- मस्जिद की पश्चिमी दीवार पूरी तरह हिन्दू मंदिर का हिस्सा है.
- सर्वे में 32 शिलापट और पत्थर मिले हैं, जो वहां पहले हिन्दू मंदिर होने के साक्ष्य हैं.
- शिलापटों पर देवनागरी, तेलुगु और कन्नड में आलेख लिखे हैं.
एसएम यासीन का क्या है मानना
मस्जिद पक्ष का मानना है कि ज्ञानवापी मस्जिद में बादशाह अकबर से लगभग 150 साल पहले से मुसलमान नमाज़ पढ़ते चले आ रहे हैं. एसएम यासीन कहते हैं, “आगे अल्लाह की मर्ज़ी. हमारी ज़िम्मेदारी मस्जिद को आबाद रखने की है. मायूसी हराम है, सब्र से काम लेना होगा. हमारी अपील है कि बहस से बचा जाए.”
जानें क्या है रिपोर्ट में
ASI की रिपोर्ट के अनुसार, ”एक कमरे के अंदर पाए गए अरबी-फारसी में लिखे शिलालेख में इस बात का ज़िक्र है कि मस्जिद का निर्माण औरंगज़ेब के शासनकाल के 20वें वर्ष (1676-77) में किया गया था. इसलिए ऐसा प्रतीत होता है कि पहले से मौजूद संरचना को 17वीं शताब्दी में औरंगजेब के शासनकाल के दौरान नष्ट कर दिया गया था फ़िलहाल इस एएसआई सर्वे में ज्ञानवापी मस्जिद में सील किए गए वज़ूखाने का वैज्ञानिक सर्वे नहीं किया गया.