किसानों पर घातक गोलियां बरसा रही हरियाणा पुलिस, ये रहे सबूत
Farmers Protest: किसान आंदोलन को आज 10 दिन हो गए हैं. अभी तक किसानों की मांगों पर कोई फैसला नहीं आया और न ही उन्हें दिल्ली में प्रवेश करने दिया गया. बुधवार (21 फरवरी) को जब किसानों ने शंभू बॉर्डर से दिल्ली कूच करने का प्रयास किया तब पुलिस ने उनपर आंसू गैस के गोले दागे. इस दौरान पुलिस ने किसानों पर पैलेट गन का इस्तेमाल किया है. हालांकि हरियाणा पुलिस इस बात से इंकार कर रही है कि उसने पैलेट गन चलाई है. पुलिस का कहना है कि उन्होंने किसानों पर रबर की गोलियों का इस्तेमाल किया है.
23 साल के किसान की मौत
इस बीच कल एक 23 साल के किसान शुभकरण सिंह की पुलिस की गोली लगने से मौत हो गई है. इसका वीडियो जब सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, तब जाकर पुलिस की असलियत सबके सामने आई. हालांकि इसे भी दबाने की पूरी कोशिश की जा रही है. अभी तक किसी भी नेशनल चैनल पर इस खबर को नहीं चलाया गया है.
घायल किसानों के शरीर से निकले छर्रे
पुलिस की गोलियों से घायल हुए किसानों का इलाज कर रहे डॉक्टरों का दावा है कि किसानों पर पुलिस ने पैलेट गन चलाया है. दैनिक भास्कर की एक ग्राउंड रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ है.
फरीदकोट के रहने वाले 47 साल के बलविंदर सिंह 11 फरवरी को किसान आंदोलन में शामिल हुए थे. बलविंदर सिंह पुलिस की गोलियों से घायल हो गए थे, जिसके बाद पटियाला के सरकारी मेडिकल कॉलेज राजिंदरा हॉस्पिटल में उनका इलाज चला. इलाज के दौरान आई बलविंदर की मेडिकल रिपोर्ट में लिखा है कि उनके शरीर में कई मैटेलिक ऑब्जेक्ट्स या पैलेट्स पाए गए हैं. रिपोर्ट के अनुसार, ये पैलेट बलविंदर के गले, चेहरे और बाईं आंख में मिले हैं.
इसके अलावा 16 फरवरी को जब पंजाब के हेल्थ मिनिस्टर डॉ. बलबीर सिंह राजिंदरा अस्पताल में घायल किसानों से मिले, तो उन्होंने भी 10 से ज्यादा किसानों के पैलेट गन से जख्मी होने की पुष्टी की. मालूम हो कि बलबीर सिंह एक आई सर्जन हैं.
शंभू बॉर्डर पर किसानों का इलाज कर रहे नवदीप सिंह का भी यही कहना है. भास्कर के पत्रकार से उन्होंने बताया कि 14 फरवरी को 25-30 घायल किसानों के शरीर से उन्होंने छोटी-छोटी पैलेट्स निकालीं.
पैलेट गन का इस्तेमाल कितना खतरनाक?
आपको बता दें कि भारत में पलिस को पैलेट गन का इस्तेमाल करने की मनाही है. नियमों के मुताबिक, पुलिस द्वारा पैलेट गन का इस्तेमाल किसी भी कंडीशन में नहीं किया जाना चाहिए. केवल बेहद गंभीर परिस्थितियों में ही इसकी परमिशन दी जाती है क्योंकि यह छर्रे इंसानी शरीर को बुरी तरह से घायल कर देते हैं. अगर पैलेट गन के छर्रे आंख में चले गए तो व्यक्ति अंधा हो जाता है.
अब सवाल ये है कि निहत्थे किसानों (Farmers Protest) को रोकने के लिए पुलिस को आखिर पैलेट गन का इस्तेमाल करने की परमिशन कैसे मिली और किस आधार पर वो इसका इस्तेमाल कर रहे हैं.
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