मल्लिकार्जुन खड़गे ने सहयोग दलों को लिखी चिट्ठी, चुनाव आयोग पर उठाए सवाल
Mallikarjun Kharge letter: लोकसभा चुनाव के तीसरे चरण के मतदान के बीच कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने इंडिया गठबंधन के अपने साथी दलों को एक चिट्ठी लिखी है. उन्होंने पत्र में कहा है कि 2024 का लोकसभा चुनाव लोकतंत्र और भारत के संविधान को बचाने की लड़ाई है. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि भारतीय चुनाव आयोग (ईसीआई) की विश्वसनीयता अब तक के सबसे निचले स्तर पर है.
उन्होंने कहा कि यह सार्वजनिक डोमेन में है कि कैसे ईसीआई ने, शायद इतिहास में पहली बार लोकसभा चुनाव के पहले और दूसरे चरण के अंतिम मतदान प्रतिशत जारी करने में देरी की. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि पहले और दूसरे चरण के लिए अंतिम मतदान प्रतिशत जारी करने में अत्यधिक देरी डेटा की गुणवत्ता पर गंभीर संदेह पैदा करती है.
गठबंधन के सहयोगी दलों ने की ये अपील
मल्लिकार्जुन खड़गे ने चिट्ठी में कहा कि यह जानना बेहद निराशाजनक है कि तीसरे चरण के बाद से अंतिम पंजीकृत मतदाता सूची भी जारी नहीं की गई है. इन सभी घटनाक्रमों ने भारत के चुनाव आयोग की कार्यप्रणाली पर काली छाया डाल दी है. उन्होंने कहा कि हमें सामूहिक रुप से ईसीआई से सवाल पूछना चाहिए. खड़गे ने कहा कि इंडिया गठबंधन के रूप में लोकतंत्र की रक्षा करना और ECI की स्वतंत्र कार्यप्रणाली की रक्षा करना हमारा सामूहिक प्रयास होना चाहिए.
क्या हैं खड़गे के सवाल?
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे (Mallikarjun Kharge letter) ने चुनाव आयोग से सवाल किया कि आयोग ने मतदान प्रतिशत डेटा जारी करने में देरी क्यों की. उन्होंने यह भी पूछा कि पहले के मौकों पर आयोग ने मतदान के 24 घंटों के भीतर मतदाता मतदान का डेटा प्रकाशित किया है. इस बार क्या बदला है? क्या ईवीएम को लेकर कोई समस्या है? क्या यह सच नहीं है कि अगले चरणों की अंतिम पंजीकृत मतदाता सूची सार्वजनिक नहीं की गई है?
मोदी सरकार पर साधा निशाना
अपनी चिट्ठी में मल्लिकार्जुन खड़गे ने पीएम मोदी और भाजपा को भी निशाने पर लिया. उन्होंने कहा कि हम सभी जानते हैं पहले दो चरणों में मतदान के रुझान और घटती चुनावी किस्मत से पीएम मोदी और भाजपा किस तरह घबराए हुए और निराश हैं. पूरा देश जानता है कि सत्ता के नशे में चूर एक निरंकुश शासन कुर्सी पर बने रहने के लिए किसी भी हद तक जा सकता है. उन्होंने कहा कि इसलिए मैं आप सभी से आग्रह करूंगा कि हमें सामूहिक रूप से एकजुट होकर और स्पष्ट रूप से ऐसी विसंगतियों के खिलाफ आवाज उठानी चाहिए, क्योंकि हमारा एकमात्र उद्देश्य एक जीवंत लोकतंत्र की संस्कृति और संविधान की रक्षा करना है.
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